Friday, May 23, 2025

Thursday, March 24, 2011

श्री नखत सिध बन्न सा

नखत सिद्ध बन्ना सा राजस्थान के जेसलमेर जिले के गाँव गिरसर की सोलंकी ढनी निवासी मेहजल जी के सुपुत्र गोविंद सिंह जी के कोई ओलद नहीं थी | वे राजपूत जाति से थे | बाबा निरंजन ने क्र्पा करके धुणे की भभूती दी थी | भभूती के प्रताप से गोविंद सिंह सोलंकी के भभूता सिद्ध, शेर सिंह, नरसिंग तथा सिणगारो ने जन्म लिया था | भभूता सिद्ध जी के काली नाड़ी...

गुरु गोरखनाथ जी

गुरु गोरखनाथ का समयमत्स्येंद्रनाथ और गोरखनाथ के समय के बारे में इस देश में अनेक विद्वानों ने अनेक प्रकार की बातें कही हैं। वस्तुतः इनके और इनके समसामयिक सिद्ध जालंधरनाथ और कृष्णपाद के संबंध में अनेक दंतकथाएँ प्रचलित हैं। गोरखनाथ और मत्स्येंद्रनाथ-विषयक समस्त कहानियों के अनुशीलन से कई बातें स्पष्ट रूप से जानी जा सकती हैं। प्रथम यह कि मत्स्येंद्रनाथ...

श्री रामदेवरा जी

रामदेवरा पूर्वज इतिहास आज से करीब 1000 वर्ष पहले दिल्ली पर तोमर वंशी राजपूत रजा अनंगपाल जी राज्य करते थे यह वंश चन्द्र वंशी था | इसी तोमर वंश में बाबा रामदेव जी से 36 पीढ़ी पहले तोमर नामक एक राजा हुआ करता था | इसी राजा ने अपने नाम से तोमर वंश चलाया और उसी दिन से राजपूत जाति को तुंवर जाति के नाम से जाना जाने लगा इसी वंश में पांडव हुए | यह...

श्री गोगापीर जी

राष्ट्रीय एकता व सांप्रदायिक सद़भावना का प्रतीक धार्मिक पर्व गोगामेडी (राजस्थान) में गोगाजी की समाधि स्थल पर मेला लाखों भक्तों के आकर्षण का केंद्र है। यह मेला प्रतिवर्ष भाद्रप्रद में शुक्लपक्ष पर लगता है और पूरे पखवाड़े तक जोर-शोर से चलता हुआ लगभग एक माह तक चलता रहता है। इस मेले में देश के कोने-कोने से श्रद्घालु आकर गोगाजी की समाधि पर धोक...

गुरु गोरखनाथ की भक्ति :- LiveHindustan.com

   हिन्दू धर्म, दर्शन, अध्यात्म और साधना के अन्तर्गत विभिन्न सम्प्रदायों और मत-मतान्तरों में प्रमुख स्थान रखने वाले नाथ सम्प्रदाय की उत्पत्ति आदिनाथ भगवान शिव द्वारा मानी जाती है। शिव से जो तत्वज्ञान मत्स्येन्द्र नाथ ने प्राप्त किया उसे ही शिष्य बन कर शिवावतार  महायोगी गुरु गोरक्षनाथ ने ग्रहण किया। महाकालयोग शास्त्र में...

वाणी

गोरखवाणीपवन ही जोग, पवन ही भोग,पवन इ हरै, छतीसौ रोग,या पवन कोई जाणे भव्, सो आपे करता,आपे दैव! ग्यान सरीखा गिरु ना मिलिया,चित्त सरीखा चेला,मन सरीखा मेलु ना मिलिया,ताथै, गोरख फिरै, अकेला...

कबीर जी और गुरु गोरखनाथ

श्री मंछदरनाथ जी के शिष्य गुरु गोरखनाथ जी को प्रायः धर्म में आस्था रखने वाले सभी लोग जानते हैं . गुरु गोरखनाथ जी कबीर साहेब के समय में ही हुये और इनका सिद्धी ज्ञान विलक्षण था | उन दिनों काशी में प्रत्येक हफ़्ते विद्धानों की सभा होती थी और सभा के नियमानुर चोटी के विद्धान आपस में शास्त्रार्थ करते थे और बाद में जीतने वाला ग्यानी हारने वाले का...